डीएमएसआरडी द्वारा नव निर्मित PPE सूट जो पसीने को शरीर में रुकने ना दे व संक्रमण से बचाये।
कोरोना से संक्रमित लोगो का इलाज करने वाले डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए चाहे वे प्रशाशनिक हो या अन्य सैन्य अधिकारी के लिए डीएमएसआरडी ( डिफेंस मटेरियल एंड स्टोर्स रीसर्च एंड डेवलॅपमेंट एस्टेबलिशमेंट ) ने ऐसा पर्सनल इक्विपमेंट सूट तैयार किया है जिसकी मदद से कोरोना से बचाव के साथ साथ शरीर को संक्रमित होने से बचाएगा। यह ऐसा पहला सूट है जो शरीर में पसीने को जमने नहीं देता है। इससे स्किन पर खुजली व अन्य बैक्टेरिआ आदि के संक्रमण से बचाव में सहायता प्रदान करता है। यह अब तक का सबसे कम मूल्य का व सबसे हल्का सूट बताया जा रहा है।
इसकी कीमत मारा मात्र 900 /- रुपये है व निरंतर में रहने के खातिर इसका वजन काफी हल्का है ताकि डॉक्टरों व अन्य प्रशाशनिक अधिकारी को देर तक पहनने में ज्यादा दिक्कत न हो जिसका वजन मात्र 290 ग्राम है। डीएमएसआरडी सहायक निदेशक वैज्ञानिक डॉ.बिस्वरंजन दास ने बताया की अभी तक ऐसे सूट नायलोन से तैयार किये जा रहे थे। लेकिन इन सूट को दोबारा नहीं उपयोग में लाया जा सकता था। नया सूट जो की डीएमएसआरडी द्वारा निर्मित किया है ये सूट पॉलिस्टर से बनाया गया है। इसे पांच बार धो कर इस्तेमाल किया जा सकता है।
अतः पॉलिस्टर जो कि देश में देश में तैयार होती है जबकि नॉयलोन को आयत निर्यात किया जाता है। ऐसे में पॉलिस्टर की पूर्ती अपने देश में होने के कारण पॉलिस्टर की खपत पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो जाएगी। डॉ. दास के अनुसार सूट के आतंरिक भाग में स्पेशल ग्रेड के पोलियूरेथन की कोटिंग की गई है। जो वायरस को अंदर प्रवेश करने में रोकता है, तथा रेशो के बीच माइक्रोस्कोप के कारण शरीर से निकलने वाला पसीना बहार ऊपर की ओर से सूखा देता है। जिस कारन इस सूट को (Anti Covid-19 ) कवर ऑल नाम दिया गया है।
निदेशक डॉ. एन इस्वरा प्रसाद के निर्देशानुसार और डॉ. बिस्वरंजन दास के नेतृत्व में रोहितास कुमार सिंह,मनोज कुमार सिंह व देव सिंह ने एकजुट होकर तैयार किया है। बताया गया है कि सूट के निर्माण में कई फ़ैक्टरीयो ने अपना योगदान दिया है।
तथा उनके द्वारा यह बताया गया कि इस सूट को एक सप्ताह में दो लाख सूट बनाये जा सकेंगे।
फ्रांस के वैज्ञानिक के अनुसार वुहान की लैब में बना था कोरोना वायरस-

फ्रांस के नोबेल विजेता वैज्ञानिक लूक मोंटेगंनर ने इस दावे का समर्थन किया है उनके अनुसार यह वायरस चीन की एक लैब में बनाया गया होगा जो पुरे विश्व में एक महामारी के रूप में उभर रहा है जिसकी शुरुआत चीन के एक वहां वुहान शहर से हुई थी यह एक मानव निर्मित वायरस है। इनके अनुसार यह भी कहा कि जो वायरस एचआईवी जैसी बीमारी को फैलने में मदद करता है उसी की वैक्सीन बनाने की कोशिश में यह अत्यंत संक्रामक और घातक वायरस तैयार किया गया है।
फ्रांस के सीन्यूज चैनल को इन्होने खुद इंटरव्यू में एचआईवी के सह-खोजकरता फ्रांसीसी वैज्ञानिक लूक मोंटेगंनर ने बताया की इसलिए कोरोना वायरस की जीनेम में एचआईवी के तत्वों और मलेरिया के कुछ तत्व होने की संभावना है। एशिया टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार चीन के वुहान शहर की एक प्रयोगशाला में वर्ष 2000 से कोरोना वायरस में विशेषज्ञता हासिल है। कोरोना वायरस का निर्माण चीन में हुआ है जो की काफी टाइम से विश्व भर में चर्चा में चल रही है।
तथा इन सब आरपों के बाद चीन की वायरोलॉजी लैब के निदेशक युवान झिमिंग ने सब आरोपों को मात्रा एक अफवाह बताया है कि इसका अविष्कार चीन के वुहान शहर की लैब में हुआ है।
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